लकीरों के गुलाम है सब॥
मेहनत से क्यों नाराज है सब॥
खुद के बाजू पे नही करते भरोसा॥
चलती है इनकी नाव राम भरोसा॥
नसीब के कांधे पे हमेशा रोते है ये॥
किसी के सहारे भरोसे हमेशा रेहते है ये॥
आसमान किसी के सहारे खडा नही रेहता॥
सहारे भरोसे असमान के ख्वाब देखते है ये॥
मेहनत से क्यों नाराज है सब॥
खुद के बाजू पे नही करते भरोसा॥
चलती है इनकी नाव राम भरोसा॥
नसीब के कांधे पे हमेशा रोते है ये॥
किसी के सहारे भरोसे हमेशा रेहते है ये॥
आसमान किसी के सहारे खडा नही रेहता॥
सहारे भरोसे असमान के ख्वाब देखते है ये॥
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