2.4.07

चूहा

ये बात है बडी ही खास॥
रखना इसे तुम एक राज॥
कही दूर गए थे हम पांच॥

चेहरे के रंग लाल हो चुके थे॥
चल के हाल बेहाल हो चुके थे॥
क्योंकी बाहर चले हमे साल हो चुके थे॥

जगह थी तो बडी लाजवाब॥
पी हमने थोड़ी से शराब॥
पर चूहे ने करदी हमारी हालत खराब॥

खाना हमारा उसने पुरा चटका लिया॥
कभी याहा से तो कभी वहा से गट्का लिया॥
रात भर हमे उसने ऐसे ही लटका दिया॥

लाल बबूला होके हम उसे मारने निकले॥
चूहे के जगह हम ज़मीं को ही पीटे॥
क्या करे एक के दो दिख रहे थे होश खोके॥

रात भर यही कार्यक्रम हो रह था॥
हमारी नींद उडा कर चूहा दिन मैं आराम कर रहा था॥
किसी से कहना मात की एक चूहा हमपे भरी पड रहा था...[;)]

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