एक थी अपुन की आइटम, नाम था उसका रीना
मच मच इतना करती, मुश्किल कर दिया जीना
रोज रोज दिमाग का दही वोह करती
चीरी मिरी बतों पे फुकट वोह नडती
फिर एक दिन खोपडी अपुनका सरका, और रख के उसको दिया
जो बाप के सामने नाटक कर, नया लफडा खडा किया
उसका बाप बिग शॅट फुल्ल ठसन देके, दम-दाटी दिया,
समझाया उसको पर उसका भेजा है या बिरयानी, कुछ समझ नही आया
लफड़ा बन गया राडा, फिर तो पुलिस केस हो गया
पर वोह मामू था फूल शाणा, सस्ते में मांडवली किया
कोप्चे में उसके बाप को लेके खर्चा पानी दिया..
पुरे इज्जत में कोम्प्रो कर लाफ्डे को कलटी दिया
मच मच इतना करती, मुश्किल कर दिया जीना
रोज रोज दिमाग का दही वोह करती
चीरी मिरी बतों पे फुकट वोह नडती
फिर एक दिन खोपडी अपुनका सरका, और रख के उसको दिया
जो बाप के सामने नाटक कर, नया लफडा खडा किया
उसका बाप बिग शॅट फुल्ल ठसन देके, दम-दाटी दिया,
समझाया उसको पर उसका भेजा है या बिरयानी, कुछ समझ नही आया
लफड़ा बन गया राडा, फिर तो पुलिस केस हो गया
पर वोह मामू था फूल शाणा, सस्ते में मांडवली किया
कोप्चे में उसके बाप को लेके खर्चा पानी दिया..
पुरे इज्जत में कोम्प्रो कर लाफ्डे को कलटी दिया
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