6.8.07

पेड पे चढे हम

पेड पे चढे हम आम तोडने,
पूरी की पूरी टेहनी टूट गयी॥
टूटनी थी हमारी हड्डीया,
पर गम्पू की कोहनी टूट गयी॥
जैसे तैसे जा रहे थे हस्पताल,
पैये की तो हवा छूट गयी॥
लग गया पीछे हमारे मोती,
भागते भागते सास फूल गयी॥
गिरते संभलते पहुचे हस्पताल
आखों में पुरी, धुल गयी॥
डॉक्टर ने की गम्पू की मरम्मत,
गले से उसकी हतेली झूल गयी॥

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