6.4.07

नेता हमारे

हमारे नेताओ की बत्तें है दुनिया से न्यारी,
इनके तो साथी है अत्याचार, शोषण और भूक्मारी॥

मतों के लिए तो इनकी मत मर जाती है,
जमीर मर जाते है इनके जब सत्ता हात आती है॥

धरम और जात के नाम पे हमे वोह भडकाते,
फिर भी किताबों में भाईचारे का पाठ पढाते॥

भुकों की प्यास और प्यासो की भूक ये भगाते,
ना जाने कितने अनगिनत इन्होने गले काटे॥

आम अदमिं इनके हाथों रोज बलि चढता है,
जन संख्या बहूत है तो क्या फरक पडता है॥

पता नही लोगों की ये नीन्द कब टूटेगी,
इन पिस्सूओ और जूओ से जान कब छूटेगी॥

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