मौसम बदलते है फूल खिलते है,
पल पल लोगों के नसीब बदलते है॥
कही मुस्कान तो कही आसूं झलकते है,
हरेक दर्दो के मरहम, थोडे ही मिलते है॥
सावन न होते ही कही बादल बरसते है,
कभी जोते हुए खेत भी बंजर रेह जाते है॥
सितारे भी अक्सर चांदनी में खो जाते है,
टिमटिमाते जुगनू भी कभी राहगार बन जाते है॥
कुदरत की अनोखी बतोओ को समझ नही पते है,
पता नही कैसे पत्थर भी पसीज जाते है॥
कभी जोते हुए खेत भी बंजर रेह जाते है॥
सितारे भी अक्सर चांदनी में खो जाते है,
टिमटिमाते जुगनू भी कभी राहगार बन जाते है॥
कुदरत की अनोखी बतोओ को समझ नही पते है,
पता नही कैसे पत्थर भी पसीज जाते है॥
1 comment:
इस चिट्ठे पर सुन्दर कवितायें हैं
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