तमन्नाएँ थी कुछ अधूरी सी॥
पुरानी केचुली सी कुछ छूट गयी॥
मायूसी कि धुल तले जमी थी कोई॥
नयी धूप के नए रंगो सी,
नवजात तितलियों की भाँति उड चली॥
पुरानी केचुली सी कुछ छूट गयी॥
मायूसी कि धुल तले जमी थी कोई॥
नयी धूप के नए रंगो सी,
नवजात तितलियों की भाँति उड चली॥