13.7.07

ख्वाब

ख्वाब जीवन की अधूरी कडी है
आशा नीराशा की डोर इसपे ही टिकी है
सुख के सावन में ये डर के बादल लाते है
दर्द के रेगिस्तान में खुशियों के फूल खिलाते है
आनेवाले कलका ये अंदेशा ले आते है
बदलाव के लिए तैयार रहे यहीं हमे सिखाते है