19.5.07

राशन

राशन की दुकान की बातें अजीब होती है॥
राशन किसी और का, पर किसी और को देती है॥

मेहंगाई से बचने के लिए यहाँ कतारे लगती है,
जिन्दगी से फुरसत लिए यहाँ जिन्दगी इंतजार करती है॥

तिलमिलाती धुप से, माँ शिशु को आचल में छुपाती है,
काला बजारियों की भूक से, अपना आचल सुना ही पाती है,

आस में कईयों की उमर गुजर जाती है,
गुजर जाते है कुछ, जिनकी आस जाती है॥

14.5.07

जिन्दगी छिप गयी

जिन्दगी तू छिप गई है कहाँ
लिख रहा हूँ मैं एक नई दास्तां
मंजिलों के नए मैं मकाम छुऊँगा
उम्मीदों की सीडी से में आगे बढुँगा
गिरकर संभल तो कभी संभालकर गिरुँगा
सिकंदर बनकर मैं अपना मुक्कदर लिखूंगा
सच्चाई और ज्ञान का चश्मा पहने मैं राहगार बनूँगा
छुपे हुए कामयाबी के द्वार का मैं दरबान बनूँगा
वादा है तुझसे से, की जब तक मैं रहूँगा
चिप जा कही, में मौत से भी तुझे खीच लाऊँगा

लकीरें

हाथों कि लकीरें क्या लेकर बैठे हो यार
राज इनमें है गहरे, बिछडे है कई प्यार
इन लकीरों को तो आदत है धोका देनेकी
इनपर वक्त जाया कर बिगाड लोगे खुद की जिन्दगी