29.4.06

Just do it...

हारे हुये दिल से कोई बाजी जीता नही करते...
होस्लों से कभी कोई बुलंदियाँ नही छूते..

जो ख्वाब देखते है आसमानों के..
वोह किसी के सहारे खडे नही रेहते..

किसी के सहारे से खडे भी रेहते हो तो..
किसी के भरोसे बैठा नही करते..

जो जिगर रखते है फौलादों के..
वोह मुशकिलो के लव से पिघला नही करते..

27.4.06

RAIT days...

college के दिन बहुत याद आयेगे..
दोस्तो की हमे बहुत यदें सतएंगे..

वोह canteen की अपनी प्यारी मिसाल पाव...
और अपने RRC के पेड की ठण्डी छाव..

lecture की किसे भी पर्वा नही..
चाहे हो बारिश, ठण्डी या गरमी...

वोह मिलजुलकर assignments को छापना..
वोह हरदम medical की लडकियों को टापना..

lab में ना किया हमने कोई experiment..
project के कभी complete होगे document...

term test के लिए ना करना कभी पढ़ाई..
फिर term work में वात लगाए हरजाई..

अभी तो कर रहे है हम आखरी पढाई..
पर हमें बहुत रूलायेंगे अपकी जुदाई..

यार तेरे यारी पे मेरी ये जिंदगी कुर्बान

काफी सारे दोस्त हमारे खुशियों में शरिख होते है॥
उसमें से कुछ दोस्त हमारी जुदाई से रुसवा हो जाते है॥
उसमें से कुछ हमारे गमों में शरिख होते है॥
सच्चे दोस्त दिल में बस जाते है और जिन्दगी में शरिख होते है॥

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गम ना होते तो आसूं ना होते॥
खुशिया ना होती तो मुस्कुराहट ना होती॥
तुम ना होते तो ये दोस्ती ना होती॥
ये दोस्ती ना होती तो ये जिंदगी ना होती॥

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अभी प्यार ही मेरा धरम है और दोस्ती मेरा इमान॥
ए यार तेरे यारी पे मेरी ये जिंदगी कुर्बान॥

ऐसे लगता है जैसे अभी तो हुए हम आपसे रुबरू॥
आपसे दूर होने की हमारे दिल में नही है आरजू॥

आपसे बिछडके हमे ना होगा जीना गवारा॥
जिंदगी रही तो मिलेंगे जरूर दोबारा॥

मेरी शायरी

कई दिनों से दर्द है मेरे सिने में..
कुछ अजीब उलझन है मेरे जिने में..
उनके सासोँ का एहसास है मेरी सासोँ में..
उनके लाबो की मिठास है मेरे लबों पे..
उन्हिका चेहरा है मेरी आँखो में..
क्या करे दिल अभी भी है उन्हीके ख्यालों में

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वोह थी मेरी धडकन...
वोह थी मेरी सासें..
वोह थी मेरा चैने..
अन्धेरों मेरे नैन...
तान्हईओं मॆं मुझे छोड गई..
दीवाना मुझे वोह बाना गई..
मैं तो बन गया हु शायर..
वोह बन गई है मेरी शायरी..

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ना कोई मेरी मज़िल है ना कोई मेरा ठिकाना है..
क्या करु मेरा दिल अशिकाकाना है..
लाबों पे सिर्फ उन्ही का फसाना है..
अंधेरों मॆं उनका चेहरा नज़र अता है..
तनहाइयो मॆं दिल उन्हिको पुकारता है..
मेरी दिल मॆं सिर्फ उनकी तस्वीर है..
क्या जुदाई ही हमारी ये तकदीर है..
मेरे आसू अभी भी नही थमते है..
अभी भी तुम्हारा नाम लेकर बहते है..
जुदाई मैं जालिम हम बार बार तडपते है..
फिर भी आप के यादों मैं हरेक लम्हा जीं लेते है..

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अख्नों से हमे यूं ना पिला देना ..
के जिन्दगी भर के लिए पिनो को तरस जाये..

हमे बतूं मैं अपने यूं ना उलझा देना..
कही हम उन मैं खो ना जाये..

हमे प्यार तुम इतना ना देना...
की हम उसी कभी लौटा ना पाये..

हमे यदीं इतने भी ना देना..
की हम कभी उन्हें ना भूल पाये...

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खयालो की धुप में तेरा चेहरा नज़र अता है..
हक़ीकत के अँधेरे में ये कही गूम हो जता है..
यदों मॆं तेरे हम खो से जाते है..
प्यार मॆं तेरे यु उलझ से जाते है..
जो प्यार की शमा तुने दिल मॆं जगाई है..
उस शमा मॆं ही हम कुछ जल से जाते है..

कभी पंछी बन जाऊ

मैं पंछी बनकर कही उड जाऊ...
नीले गगन में कही समा जाऊ..

वादियों में कही मैं बस जाऊ..
सप्नो का हसी आशियाँ बनाऊं..

सितारों को अपनी बाग में सजाऊ..
सच्चाई की रोशनी से उसी चमकाऊ..

गुद-गुदा कर गमो के बादलों को हसाऊ..
प्यार के एहसास से विशवास को मेहकाऊ..

फिर भी कभी गुरूर को मेहमा ना बनाऊ..
मैं कभी पंछी बन जाऊ...

बचपन


याद आती है मुझे वोह बचपन के बतें..
वोह पप्पू की मेठाई वोह दिवाली के पटाखे..

दादी की अलमारी से वोह तोफियाँ चुराना..
वोह गिर कर संभल ना और वोह झूटमूट का रोना...

दोस्तो के साथ वोह खेले हम लुका छुपी..
वोह हमारी बरी आना वोह करना काम का बहाना...

भैया से डर कर वोह हमारी चीजों को छुपाना...
वोह लडना झगडना वोह भैया की मार खाना...

सभी के साथ वोह मिलजुल के क्रिकेट खेलना..
वोह हमारा आउट होना वोह बॉट लेके बगजाना..

बारिश के दिनों में वोह पानी का जमना..
वोह कीचड में कूदना वोह पनि में भीगना..

रजा रानी की कहानी वोह नानी ने हर बार सुनाना..
वोह भूतों से दरना वोह गद्दे को गीला करना..

बीच बीच में यूं वोह पुराणी अल्बम को देखना..
वोह बचपन का तुतलाना वोह बचपन को याद करना..



20.4.06

जिन्दगी


जिन्दगी की बहूत अजब है कहानी
बडे बडे पत्थर भी बन जाते है पानी
वैसे ये बात है बहुत पुरानी
फिर भी सुनो इसे मेरी जुबानी

कभी खुशियाँ देकर हसाती है
कभी गम देकर बडा रुलाती है
दोस्तो कि तरह अपना बनाती है
बेवफा कि तरह तनहा छोड जाती है

कभी सैलाबों में नही उजडती है
कभी एक झोके से उड जाती है
कभी चांदनीसि रोशन रहती है
कभी अमावस के अंधेरों से भरी है

कभी माँ का लाड दे जाती है
कभी पापा कि डाट खिलाती है
कभी दीदी सी बातें बाट लेती है
कभी भैय्या सी मुझसे जगाड्ती है

अनजानो को हमसफर ये बनाती है
हमसफर को बेगाना कर जाती है
इस्सका नाम ही तो दोस्त जिंदगी है
जो हर हाल में चलती जाती है