27.4.06

मेरी शायरी

कई दिनों से दर्द है मेरे सिने में..
कुछ अजीब उलझन है मेरे जिने में..
उनके सासोँ का एहसास है मेरी सासोँ में..
उनके लाबो की मिठास है मेरे लबों पे..
उन्हिका चेहरा है मेरी आँखो में..
क्या करे दिल अभी भी है उन्हीके ख्यालों में

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वोह थी मेरी धडकन...
वोह थी मेरी सासें..
वोह थी मेरा चैने..
अन्धेरों मेरे नैन...
तान्हईओं मॆं मुझे छोड गई..
दीवाना मुझे वोह बाना गई..
मैं तो बन गया हु शायर..
वोह बन गई है मेरी शायरी..

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ना कोई मेरी मज़िल है ना कोई मेरा ठिकाना है..
क्या करु मेरा दिल अशिकाकाना है..
लाबों पे सिर्फ उन्ही का फसाना है..
अंधेरों मॆं उनका चेहरा नज़र अता है..
तनहाइयो मॆं दिल उन्हिको पुकारता है..
मेरी दिल मॆं सिर्फ उनकी तस्वीर है..
क्या जुदाई ही हमारी ये तकदीर है..
मेरे आसू अभी भी नही थमते है..
अभी भी तुम्हारा नाम लेकर बहते है..
जुदाई मैं जालिम हम बार बार तडपते है..
फिर भी आप के यादों मैं हरेक लम्हा जीं लेते है..

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अख्नों से हमे यूं ना पिला देना ..
के जिन्दगी भर के लिए पिनो को तरस जाये..

हमे बतूं मैं अपने यूं ना उलझा देना..
कही हम उन मैं खो ना जाये..

हमे प्यार तुम इतना ना देना...
की हम उसी कभी लौटा ना पाये..

हमे यदीं इतने भी ना देना..
की हम कभी उन्हें ना भूल पाये...

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खयालो की धुप में तेरा चेहरा नज़र अता है..
हक़ीकत के अँधेरे में ये कही गूम हो जता है..
यदों मॆं तेरे हम खो से जाते है..
प्यार मॆं तेरे यु उलझ से जाते है..
जो प्यार की शमा तुने दिल मॆं जगाई है..
उस शमा मॆं ही हम कुछ जल से जाते है..

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