6.6.06

सूरज ढल गया तो क्या

आज सूरज ढल गया तो क्या हुआ..
राह-बर बंकर कोई जुगनू जरूर चमकेगा..

आज अँधेरा हो गया तो क्या हुआ...
रोशनी की किरणों को लिए कोई कासिद आयेगा .

आज गम-में डूब गए तो क्या हुआ
खुशियों का संदेसा लिए कोई गम-गुस्सर आयेगा..

राह-बर = guide
कासिद = messenger
गम-गुस्सर= comforter

लकीरों के गुलाम है सब

लकीरों के गुलाम है सब
मेहनत से क्यों नाराज है सब

खुद के बाजू पे नही करते भरोसा

चलती है इनकी नाव राम भरोसा

नसीब के कांधे पे हमेशा रोते है ये

किसी के सहारे भरोसे हमेशा रेहते है ये

आसमान किसी के सहारे खडा नही रेहता

सहारे भरोसे असमान के ख्वाब देखते है ये