6.9.06

पल पल

पल पल ने कहा एक पल से....
आज ने बदलते कल से...
नम होके साहिल ने बदल से...
और किसी मुसाफिर ने पेड के अच्चल से...
वजह तुम्हारी मैं या मेरी वजह तुम...
यह तो एक राज़ है॥
जिन्दगी का चलते रहना ही...
हमारा एक काज है..

किसी ना किसी के लिए तरसता...

ज़मीन कही सुखी है बादल कही बरसता है....
दुनिया में हर कोई किसी ना किसी के लिए तरसता है....
कोई मोहब्बत के लिए तो कोई मोहब्बत से तरसता है...
चीज़ खुद के पास ना हो उसी के लिए तरसता है...


टेढी लकीरे

हाथो की टेढी लकीरे भी धोका दे जाती है
लंबी होती है जिनकी जीवन रेखा, आयु उनहिकी कम होती है
किस्मत पे भरोसा रखने वाले जुआरी होते है...
जो जिन्दगी में हमेशा हारते ही रहते है...
वैसे किस्मत यारोँ कभी ना हतेली में होती है...
यह तो अपनी हिम्मत है जो कलाइं से लिखती है ...

बिखर जाओ

बिखर जाओ तुम उन् पत्तों की तरह
जो पतझड़ में नए पत्तों की राह बन जाते है

बिखर जाओ तुम उन पेहली बूंदो की तरह

जो खुद को खोकर जीवन की आस भरते है

बिखर जाओ तुम उस हसी की तरह

जो गम में रहकर कुशियाँ बिखेरती है

मेरी धड़कन की वजह

नही देख सकता तुम्हारा चेहरा
पर मेरे चेहरे की हसी तुम हो

नही मेहसूस कर सकता तुम्हारी सांसे

पर मेरी सासोँ की खुशबू तुम हो


नही सुन सकता मैं तुम्हारी धड़कने

पर मेरी धड़कन की वजह तुम हो

वजह की वजह

वजह ने मेरे आसूं की वजह पुछी
अब उस वजह को मैं क्या कहू

दर्द ने मेरे दर्द की वजह पूची

अब उस दर्द को मैं क्या कहू

जिन्दगी ने मेरे जिने की वजह पूछी

अब उस जिन्दगी को मैं क्या कहू