6.9.06

किसी ना किसी के लिए तरसता...

ज़मीन कही सुखी है बादल कही बरसता है....
दुनिया में हर कोई किसी ना किसी के लिए तरसता है....
कोई मोहब्बत के लिए तो कोई मोहब्बत से तरसता है...
चीज़ खुद के पास ना हो उसी के लिए तरसता है...


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