20.10.07

जीना सिखा है

गम के साए मैं जीना सिखा है
खली पेय्माने को पीना सिखा है
खोफ नही अब तेरा,
बिखरकर उभरना सिखा है

बदनसीबी

बदनसीबी मेरी, इतनी खुशनसीब तू नही
रुला दिया तुने मुझ को, पर गम में मैं नही
हराने की थी पूरी कोशीश, पर हर्नेवालो मैं हम नही

3.10.07

दील सा मेरा टूटा तारा

आज असमान में मुझसा कोई नजर गया..
दीन ढलके रात का समा अजीब छा गया..
दील सा मेरा टूटा तारा जो गीरा जमीन पर..
रह गया वोह हजारों में बिखर कर..
छीन गया है जो मेरा प्यार मेरा यार..
सांसे बंद होने का ही, बस है इंतज़ार..