18.4.07

मिला गयी

बत्तें उन बातों की जो बत्तें रह गयी
कहानियां उन कहनियों की जो किसी ना सुनी
एहसास उन कुश्बू की जो मुझ में बस गयी
जिन्दगी उन जिन्दगी की जिसमें तुम मिला गयी

11.4.07

मुम्बैया

एक थी अपुन की आइटम, नाम था उसका रीना
मच मच इतना करती, मुश्किल कर दिया जीना

रोज रोज दिमाग का दही वोह करती
चीरी मिरी बतों पे फुकट वोह नडती

फिर एक दिन खोपडी अपुनका सरका, और रख के उसको दिया
जो बाप के सामने नाटक कर, नया लफडा खडा किया

उसका बाप बिग शॅट फुल्ल ठसन देके, दम-दाटी दिया,
समझाया उसको पर उसका भेजा है या बिरयानी, कुछ समझ नही आया

लफड़ा बन गया राडा, फिर तो पुलिस केस हो गया
पर वोह मामू था फूल शाणा, सस्ते में मांडवली किया

कोप्चे में उसके बाप को लेके खर्चा पानी दिया..
पुरे इज्जत में कोम्प्रो कर लाफ्डे को कलटी दिया

कुछ बकवास हमारी

चिडियाँ चह चहाई
कोयल गाना गयी
मुर्गे ने मारी बांग
तो बिल्ली ने मारी छलांग
चुहे ने बचाई जान
अल्ला मेहेर्बान तो गधा पेहेलवान

6.4.07

नेता हमारे

हमारे नेताओ की बत्तें है दुनिया से न्यारी,
इनके तो साथी है अत्याचार, शोषण और भूक्मारी॥

मतों के लिए तो इनकी मत मर जाती है,
जमीर मर जाते है इनके जब सत्ता हात आती है॥

धरम और जात के नाम पे हमे वोह भडकाते,
फिर भी किताबों में भाईचारे का पाठ पढाते॥

भुकों की प्यास और प्यासो की भूक ये भगाते,
ना जाने कितने अनगिनत इन्होने गले काटे॥

आम अदमिं इनके हाथों रोज बलि चढता है,
जन संख्या बहूत है तो क्या फरक पडता है॥

पता नही लोगों की ये नीन्द कब टूटेगी,
इन पिस्सूओ और जूओ से जान कब छूटेगी॥

लोगों के नसीब

मौसम बदलते है फूल खिलते है,
पल पल लोगों के नसीब बदलते है॥
कही मुस्कान तो कही आसूं झलकते है,
हरेक दर्दो के मरहम, थोडे ही मिलते है॥
सावन न होते ही कही बादल बरसते है,
कभी जोते हुए खेत भी बंजर रेह जाते है॥
सितारे भी अक्सर चांदनी में खो जाते है,
टिमटिमाते जुगनू भी कभी राहगार बन जाते है॥
कुदरत की अनोखी बतोओ को समझ नही पते है,
पता नही कैसे पत्थर भी पसीज जाते है॥

2.4.07

उमंग

फिजा से कोई नमी ना छिनो, ताजगी चली जायेगी...
सुबह से कोई लाली ना छिनो, खुबसुरती चली जायेगी...
फूल से कोई कोमलता ना छिनो, सादगी चली जायेगी...
मुझ से कोई सपने ना छिनो, उमंग चली जायेगी...

तरसते रहे

प्यार के बादल हमपे हमेशा बरसते रहे॥
फिर भी प्यार की एक बूँद के लिए तरसते रहे॥
भीग गए हम पुरे सिर से पैरो तक॥
फिर भी पिने के लिए तो तरसते रहे॥

चूहा

ये बात है बडी ही खास॥
रखना इसे तुम एक राज॥
कही दूर गए थे हम पांच॥

चेहरे के रंग लाल हो चुके थे॥
चल के हाल बेहाल हो चुके थे॥
क्योंकी बाहर चले हमे साल हो चुके थे॥

जगह थी तो बडी लाजवाब॥
पी हमने थोड़ी से शराब॥
पर चूहे ने करदी हमारी हालत खराब॥

खाना हमारा उसने पुरा चटका लिया॥
कभी याहा से तो कभी वहा से गट्का लिया॥
रात भर हमे उसने ऐसे ही लटका दिया॥

लाल बबूला होके हम उसे मारने निकले॥
चूहे के जगह हम ज़मीं को ही पीटे॥
क्या करे एक के दो दिख रहे थे होश खोके॥

रात भर यही कार्यक्रम हो रह था॥
हमारी नींद उडा कर चूहा दिन मैं आराम कर रहा था॥
किसी से कहना मात की एक चूहा हमपे भरी पड रहा था...[;)]

कुछ पल

कुछ पल जिंदगी के सोगात बन जाते॥
गुजरे हुए कल की वोह तस्वीर बन जाते है॥
हर एक मुस्कान की याद वोह दिलाते है॥
हर एक आसूं के निशान वोह बन जाते है॥
कुछ भूले दोस्तो को ढुंड वोह लाते है॥
साथ गुजारे लम्हों को जिंदा कर जाते है॥
कभी दर्द तो कभी मरहम बन जाते है॥
जब तनहाई मैं ये पल चुपके से आते है॥

खामोशी

तेरी यादों से मेहकी मेरी तनहाई है...
तेरी हसी से उजली मेरी परछाई है...
दिल के किसी कोने में छिपी तुम्हारी आँखें है..
उन्ही आँखो में छिपी कुछ अनकाही बतें है..
सवाल अब तुम्हारे राज बन गए है..
तुम्हारी खामोशी के हम अब आदी हो गए है...

LOCAL TRAIN

लोकल ट्रेन की भी अजीब है बात..
यहा हड्डी पस्लिया हो जाती है एक साथ॥
लम्हों में ये बदलती है हजार..
इसिपे तो टिके है ढेर सारे संसार॥
मिलाती है ये अनगिनत राहों को..
छोड जाती है पीछे सूरज और सितारों को॥
लाखो दिलो की धड़कन है ये..
चलती और मुम्बई को चलती है ये॥