20.5.06

आरक्षण हटाओ देश बचाओ

दिए जल गए है तो अंधेरा जल कर रहेगा..
शिकैब टूट गया है तो साच गूँज कर रहेगा

लोग जाग रहे है तो न्याय का सवेरा हो कर रहेगा
चिन्गारिया सुलग रही है तो ये राक्षस जल कर रहेगा

लालची मंत्रियों की नीतिया अब ना कोई सहेगा
इंसाफ के लिए अब एक इन्कलाब हो कर रहेगा

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आज और कल के वक्त में कोई फरक नही

सूरज और चांद की रोशनी में कोई फरक नही
आकाश और धरती की सीमा में कोई फरक नही
तुम्हारी और मेरी बूमी में कोई फरक नही

लहू के रंग में कोई फरक नही
मिलने वाली शिक्षा में कोई फरक नही
वर्णों की लाखेरिएँ हमने किचे थी कभी
क्या करे आब लोगो को योग्यता की भी परख नही



14.5.06

खामोशियाँ

खामोशियाँ गूंजती है तनहाई की स्याहियों में
नजार आती है यादें अपनी अक्स की पर्छाइयों में

सिमट गए है ख्वाब बिखरकर रख्श-ए-उम्र की लकिरों में
जिन्दगी है मेरी जैसे शम्मा-खुश्ता अपके अज्म की लप्टों में

स्याह = dark
अक्स = image
रख्श-ए-उम्र = gallop of life and time
शम्मा-खुश्ता = extingushed lamp
अज्म = decision

13.5.06

क्या कहु...

अपने बारे में क्या कहु केहने को कुछ नहि ||
ताकद है हममें कम पर कमजोर हम नहि ||
अकल है हममें जरुर पर वो घमंड हमारा नहि ||
सपने है हमारे बहूत से पर खयालो में हम नहि ||
अरमान है हमारे जरूर पर केहते हम नहि ||
मेहनत है हमारा भगवान पर नसिब हमारा नहि ||
प्यार है हमारा सहारा पर देने को कोई नहि ||

बारिश की बूंदे

जब वोह छम से चेहरे को छूती है और कानो में कुछ गाती है ||
हलके से लबो-पर से सरक कर, अपने पेरों के निशान छोड जाती है
||
पुरी तरह हमे भिगों कर, हमे अपने ही रंग में वोह रंगती है ||
ये बात मैं सोचता हूँ की बारिश की बूंदे भी कुछ कहती है ||

जमीन पे खिची हुइ लकिरों को अपने प्यार से वोह मिलाती है
||
अपने ठंडे एहसास से सारे सोये हुए अन्कूरों को ये जगती है ||
आग में झुलसती हुइ धरती को मखमली हरी चादर ओढाती है ||
ये बात मैं सोचता हूँ की बारिश की बूंदे भी कुछ कहती है ||

हाथों में हाथ मिलाकर धरती को वोह आसमान से मिलाती है
||
खुद को ही कुर्बान कर वोह हमे जिन्दगी क्यों दे जाती है ||
अपनी ही बोली में नजाने कौनसा पाठ हमे पढा जाती है ||
ये बात मैं सोचता हूँ की बारिश की बूंदे भी कुछ कहती है ||

वक्त अगर रूक जाये

ए वक्त अगर रूक जाये, तो सबब जीनेका ढूंड लेंगे

इस बे-मानी से जिन्दगी को, नयी दिशा में मोड देंगे

अपने दम पे हाथों में, नसीब की लाकिरी किच देंगे

जो किस्मत में लिखा है, हाथों से अपने फिर लिखेंगे

फिर ये बारिश

फिर ये बारिश मेरी तनहाई चुराने आयी
अकेली नही साथ में प्यार की आंधी लाई

खुद से ही दिल पे जमी यादों की धुल हटा

अपने एहसास से एक नयी उमंग मुझ में जगा

बूंदों के रुप में मुझे कुछ सपने है लाई

लगता है की जिन्दगी ने नई करवट है खा

बन गया

ख्वाब देखते देखते खयाल बन गया
खिताब लेते लेते किताब बन गया

लबों को छूतें ही अल्फाज बन गया
दिल का धडकना हमारा इत्तफाक बन गया

वादा हमारा वफा पे दाग बन गया
हसते हसते मैं ही एक मजाक बन गया

गम पिते पिते शराब बन गया
बहाना महफिलों में पिने का बन गया

4.5.06

कुछ नग्मे

मेरी गीतों की खुशबूं में, तुम्हारे ही प्यार की परत है..

जो साहिल को मेहका दे, ऐसे उसमें अजीब ताकत है..

तुम बिन मेरी गीत तो जैसे, कोई बेजानसी एक मूरत है..

तुम इनमें कुछ जान भर्दो, इसी बातकी हमें गुजारिश है..

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खयालो की धुप में तेरा चेहरा नजर अता है..
हक़ीकत के अँधेरे में ये कही गूम हो जता है..
यादों में तेरे हम खो से जाते है..
प्यार में तेरे यू उलझ से जाते है..
जो प्यार की शमा जो तुने दिल में जगाई है..
उस शमा में ही हम कुछ जल से जाते है..

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कोई दीवाना होता है तो कोई परवाना होता है..
मोहब्बत का तो यही एक फसाना होता है..
लैला ना मिल पाती है कभी मजनू को..
हीर छोड जाती है किसी रान्जेह को..
हम भी भूल जायेंगे उनकी यादों को..
आशियाँ बना लेंगे हम किसी और के निगानो को

यादे

गम के साये में कभी, मुस्कुराहट की चादर ओढ लेते है
अपने आज के साये में कभी, हम कल को पनाह दे देते है


दिल की चोट पे कभी, एक जख्म रोज नया हम देते है

उनकी यादों में अभी, सिर्फ आंसू ही बहा देते है


प्यार के एहसास से कभी, हम अपने जख्मो को सिल्वा लेते है

उन्ही आंसूओ से अभी, यादों के जख्मो को साफ करते है

खुद में क्या ढुंदता हूँ

मैं खुद मैं ही खुद को ढुंदता हूँ,
जाने किन सवालों के मैं सवाल ढुंदता हूँ
कुछ सुल्झनो में कोई पहेली ढुंदता हूँ,
तराना--आश्ती में अस्सों- को दून्दता हूँ
दस्त में क्यों मैं गुलिस्तान ढुंदता हूँ,
नौ-बहार में सांज की फिजा ढुंदता हूँ
जीस्त में मौत की मैं वजह ढुंदता हूँ
गलती की नजाने में गलती क्यों ढुंदता हूँ
क्या पता में खुद में क्या ढुंदता हूँ

some meanings..
जीस्त= life
दस्त= desert
तराना-ए-आश्ती= song of harmony
नौ-बहार= an early spring
सांज= evening