13.5.06

बन गया

ख्वाब देखते देखते खयाल बन गया
खिताब लेते लेते किताब बन गया

लबों को छूतें ही अल्फाज बन गया
दिल का धडकना हमारा इत्तफाक बन गया

वादा हमारा वफा पे दाग बन गया
हसते हसते मैं ही एक मजाक बन गया

गम पिते पिते शराब बन गया
बहाना महफिलों में पिने का बन गया

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