4.5.06

कुछ नग्मे

मेरी गीतों की खुशबूं में, तुम्हारे ही प्यार की परत है..

जो साहिल को मेहका दे, ऐसे उसमें अजीब ताकत है..

तुम बिन मेरी गीत तो जैसे, कोई बेजानसी एक मूरत है..

तुम इनमें कुछ जान भर्दो, इसी बातकी हमें गुजारिश है..

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खयालो की धुप में तेरा चेहरा नजर अता है..
हक़ीकत के अँधेरे में ये कही गूम हो जता है..
यादों में तेरे हम खो से जाते है..
प्यार में तेरे यू उलझ से जाते है..
जो प्यार की शमा जो तुने दिल में जगाई है..
उस शमा में ही हम कुछ जल से जाते है..

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कोई दीवाना होता है तो कोई परवाना होता है..
मोहब्बत का तो यही एक फसाना होता है..
लैला ना मिल पाती है कभी मजनू को..
हीर छोड जाती है किसी रान्जेह को..
हम भी भूल जायेंगे उनकी यादों को..
आशियाँ बना लेंगे हम किसी और के निगानो को

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