4.5.06

खुद में क्या ढुंदता हूँ

मैं खुद मैं ही खुद को ढुंदता हूँ,
जाने किन सवालों के मैं सवाल ढुंदता हूँ
कुछ सुल्झनो में कोई पहेली ढुंदता हूँ,
तराना--आश्ती में अस्सों- को दून्दता हूँ
दस्त में क्यों मैं गुलिस्तान ढुंदता हूँ,
नौ-बहार में सांज की फिजा ढुंदता हूँ
जीस्त में मौत की मैं वजह ढुंदता हूँ
गलती की नजाने में गलती क्यों ढुंदता हूँ
क्या पता में खुद में क्या ढुंदता हूँ

some meanings..
जीस्त= life
दस्त= desert
तराना-ए-आश्ती= song of harmony
नौ-बहार= an early spring
सांज= evening

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