20.5.06

आरक्षण हटाओ देश बचाओ

दिए जल गए है तो अंधेरा जल कर रहेगा..
शिकैब टूट गया है तो साच गूँज कर रहेगा

लोग जाग रहे है तो न्याय का सवेरा हो कर रहेगा
चिन्गारिया सुलग रही है तो ये राक्षस जल कर रहेगा

लालची मंत्रियों की नीतिया अब ना कोई सहेगा
इंसाफ के लिए अब एक इन्कलाब हो कर रहेगा

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आज और कल के वक्त में कोई फरक नही

सूरज और चांद की रोशनी में कोई फरक नही
आकाश और धरती की सीमा में कोई फरक नही
तुम्हारी और मेरी बूमी में कोई फरक नही

लहू के रंग में कोई फरक नही
मिलने वाली शिक्षा में कोई फरक नही
वर्णों की लाखेरिएँ हमने किचे थी कभी
क्या करे आब लोगो को योग्यता की भी परख नही



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