27.4.06

कभी पंछी बन जाऊ

मैं पंछी बनकर कही उड जाऊ...
नीले गगन में कही समा जाऊ..

वादियों में कही मैं बस जाऊ..
सप्नो का हसी आशियाँ बनाऊं..

सितारों को अपनी बाग में सजाऊ..
सच्चाई की रोशनी से उसी चमकाऊ..

गुद-गुदा कर गमो के बादलों को हसाऊ..
प्यार के एहसास से विशवास को मेहकाऊ..

फिर भी कभी गुरूर को मेहमा ना बनाऊ..
मैं कभी पंछी बन जाऊ...

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