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14.5.07

लकीरें

हाथों कि लकीरें क्या लेकर बैठे हो यार
राज इनमें है गहरे, बिछडे है कई प्यार
इन लकीरों को तो आदत है धोका देनेकी
इनपर वक्त जाया कर बिगाड लोगे खुद की जिन्दगी