16.7.06

दास्ताँ मेरी engineering की

दास्ताँ सुनाता हूँ अपनी engineering की यार..
किस तरह गुजरे हमारे ये साल चार..
पेहले में तो था बहुत बुरा हाल..
अपनी ही क्लास में होते थे हम मेहमा..
चार subject में थी हमारी attendance zero..
principal ने बुलाया और बन गए हम क्लास हीरो..
assignments को छापना हमने याहा से किया शुरू..
forty पे all clear होगये, बच गए गुरू..

दुसरे साल सोचा थोडा अब सुधर जाते है यार..
कोशिश की हमने फिर भी हमे KT लग गई यार..
सुट्टा और दारू इस्सी साल try किया हमने...
rock influence होके बाल बढ़ाये हमने..
पेहली viva के लिए किये अपने बाल कुर्बान..
सुधर ने कि कोशिश में हम करते रही वोही कम..

तीसरे कि स्टार्ट में ही होगया हमे किसी से प्यार..
हालत पर अपनी वैसे ही थी जैसे पेहली थी यार..
rockshow में पेर्फोर्म कर मिला "u suck" का खिताब.
xerox से ही हमेशा पढ हमने उसे की किताब..
पढ़ाई की हमने इसबार बहुत जमके..
पेहली ६० मारी हमने इसी साल में..

चौते में तो प्यार मेरा टूट गया..
फिर भी दोस्तो का प्यार बढ़ता गया..
फ़ाइनल year कहके college सिर पर उठा लिया..
कैंटीन को ही अपना एक lecture room बाना दिया..
हरेक दिन हमने दोस्ती का नया त्यौहार मनाया..
बिछड ने कि गम में हर लम्हा साथ बिताया..
आखरी exam कहके नही की किसी ने पढ़ाई..
इसीलिये अब पुरी तरह लगी पडी है हमारी..[;)]
god bless me...हेहे


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